भारत-अमेरिका टैरिफ वार: ट्रंप के फैसले से बदल गया वैश्विक समीकरण

भारत-अमेरिका टैरिफ वार: ट्रंप के फैसले से बदल गया वैश्विक समीकरण

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2025 में भारत से आने वाले उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का आदेश दिया है। अमेरिकी प्रशासन ने पहले 25% बेस टैरिफ लागू किया और अब कई उत्पादों पर अतिरिक्त 25% कर बढ़ा दिया है, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। यह कदम भारत के रूस से तेल खरीदने और सैन्य उपकरण लेने के फैसले के जवाब में उठाया गया है, और इसे US-India trade diplomacy में एक बड़ी घटना के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या है टैरिफ का कारण?

ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि भारत के साथ व्यापार घाटा 2024 में $45.7 बिलियन रहा, और रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिका को सख्ती दिखानी पड़ी। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस के खिलाफ अधिक सहयोग दिखाए; इसीलिए यह हाई टैरिफ लागू किया गया है। ‘Trade deficit’, ‘energy security’, और ‘geopolitical friction’ ऐसे शब्द हैं जो इस विवाद के केंद्र में आ गए हैं।

किन उत्पादों पर है सबसे ज्यादा असर?

US के इस टैरिफ से भारत के texttile, gems & jewellery, leather, chemicals, auto components, marine products sectors सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। लगभग 55% इंडियन एक्सपोर्ट्स अब खतरे के घेरे में हैं. कुछ sectors जैसे—pharmaceuticals, semiconductors, energy resources (crude oil, natural gas) और critical minerals—तो exemption में हैं, जिससे भारत के generic drug exports बच गए हैं। लेकिन बाकी क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी मार्केट में compete करना लगभग असंभव हो जाएगा।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इस फैसले को ‘unfair, unjustified and unreasonable’ बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपनी एनर्जी ज़रूरतें पूरी करने, बाजार के हिसाब से खरीददारी करता है और यह देश की energy security के लिए जरूरी है। साथ ही भारत अब एक्सपोर्टर्स के लिए नए incentive schemes लाने की चर्चा कर रहा है ताकि इस नुकसान की भरपाई हो सके.

वैश्विक समीकरण पर असर

विश्लेषकों का मानना है कि भारी टैरिफ के चलते भारत और अमेरिका के बीच trade partnership कमजोर हो सकती है। इससे भारत रूस और चीन के करीब आ सकता है — यानी US के strategic interests को सीधी चुनौती.

  • इंडिया-रूस कनेक्शन: भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, और इस टैरिफ वार ने दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को मजबूती दी है। अब दोनों देश energy, military और technology sectors में नजदीक आ सकते हैं।

  • India-China relations: ट्रंप की नीतियों की वजह से भारत और चीन के बीच भी बातचीत तेज हो गई है। दोनों एशियाई ताकतें US के टैरिफ के खिलाफ मिलकर नई रणनीति बना सकती हैं.

मार्केट रिएक्शन और चुनौतियाँ

इस बढ़े हुए टैरिफ के तुरंत बाद भारतीय स्टॉक मार्केट्स में गिरावट आई है। Exporters को डर है कि उनके प्रोडक्ट्स US मार्केट में अब दोगुने दाम पर बिकेंगे, जिससे demand 40%-50% तक घट सकती है. एक पूर्व भारतीय ट्रेड अफसर ने कहा, “यह टैरिफ भारत और ब्राजील को सबसे ज्यादा taxed countries बना देता है, और regional competitors (Vietnam, Bangladesh) के मुकाबले बड़ा disadvantage.”

आगे का रास्ता

कुछ जानकार मानते हैं कि यह टैरिफ वार आने वाले हफ्तों में global supply chain और international trade पे भारी असर डालेगा। अगर India और US के बीच समझौता नहीं होता, तो भारत के $87 billion annual US exports दांव पर हैं। दोनों देशों के लिए एक negotiated solution ही सबसे अच्छे रास्ते हैं; वरना एशिया में US की strategic position कमजोर हो सकती है।

निष्कर्ष

ट्रंप की टैरिफ नीति ने India-US trade relations को नये मोड़ पर ला दिया है। यह न केवल एक आर्थिक मुद्दा है, बल्कि इसमें geopolitical strategy और international diplomacy का भी सीधा संबंध है। आने वाले महीनों में देखना होगा कि क्या भारत अमेरिका के टैरिफ का मुकाबला कर पाता है, या दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था को trade diversion के जरिए नए partners की तलाश करनी पड़ेगी।


इस पूरे trade spat का असर न केवल भारत-अमेरिका पर, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था और एशियाई राजनीति पर भी पड़ना तय है। India now stands at a strategic crossroads in the global economy.

administrator

Related Articles