जब नारी ने उठाई कलम, तब बदला देश का कल
भारत जैसे देश में, जहां नारी को देवी का दर्जा दिया जाता है, वहां एक समय था जब महिलाएं शिक्षा से वंचित थीं। उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित रखा जाता था और पढ़ाई को उनके लिए अनावश्यक समझा जाता था। लेकिन समय बदला, सोच बदली और महिलाओं ने भी कलम थामी। आज, शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी न केवल बढ़ी है, बल्कि उन्होंने उत्कृष्टता का नया कीर्तिमान भी स्थापित किया है।
अतीत की झलक: जब शिक्षा एक सपना थी
ब्रिटिश काल और उससे पहले महिलाओं की शिक्षा पर समाज ने अनेक बंदिशें लगाई थीं। लड़कियों का स्कूल जाना सामाजिक अपराध समझा जाता था। बाल विवाह, पर्दा प्रथा और रूढ़िवादी सोच ने महिलाओं को पढ़ने से रोका। लेकिन उस समय रानी लक्ष्मीबाई, सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई जैसी महिलाओं ने साहस दिखाया और शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। सावित्रीबाई फुले ने तो भारत का पहला गर्ल्स स्कूल शुरू करके इतिहास रच दिया।
स्वतंत्र भारत में महिलाओं की शिक्षा का विकास
आजादी के बाद भारत सरकार ने महिला शिक्षा को प्राथमिकता दी। लड़कियों के लिए स्कूल खोले गए, छात्रवृत्तियाँ दी गईं और अभियान चलाए गए जैसे:
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”
“सर्व शिक्षा अभियान”
“कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय”
इन प्रयासों से महिलाओं की साक्षरता दर में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। 1951 में जहाँ महिला साक्षरता दर केवल 8.86% थी, वहीं 2021 तक यह 70% के करीब पहुँच गई है।
आज की नारी: शिक्षा में अग्रणी
आज की महिलाएं शिक्षा के हर क्षेत्र में आगे हैं—फिर चाहे वह विज्ञान हो, तकनीक, चिकित्सा, कानून या सेना।
कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, टीना डाबी, फाल्गुनी नायर, और गौरवशाली महिला वैज्ञानिक—इन सभी ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा के जरिए महिलाएं क्या-क्या हासिल कर सकती हैं।
ग्रामीण भारत की चुनौती
शहरी इलाकों में जहाँ लड़कियाँ स्कूल और कॉलेज जा रही हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बालिकाओं की शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी है। कुछ जगहों पर स्कूल की दूरी, सुरक्षा, मासिक धर्म से जुड़ी झिझक और सामाजिक बंदिशें अब भी शिक्षा में बाधा बनती हैं। लेकिन NGOs, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स, और डिजिटल माध्यम अब धीरे-धीरे इन बाधाओं को तोड़ रहे हैं।
डिजिटल शिक्षा का नया युग
कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा का दौर आया, जिससे ग्रामीण और घर में रहने वाली लड़कियों को भी पढ़ाई का मौका मिला। अब YouTube, मोबाइल ऐप्स, और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म से हजारों लड़कियाँ स्किल्स और कोर्सेज़ कर रही हैं।
निष्कर्ष: शिक्षा से बदलेगा हर चेहरा
महिलाओं की शिक्षा सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि एक क्रांति है। शिक्षित महिला न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाती है, बल्कि अपने परिवार, समाज और देश को भी विकास की राह पर ले जाती है।
“अगर एक पुरुष शिक्षित होता है तो वह खुद को बदलता है, लेकिन जब एक महिला शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार और आने वाली पीढ़ियों को बदल देती है।”


